यूपी पुलिस के
सिपाही की गुहार- असलहा छिनने का प्रयास, एफआईआर दर्ज नहीं
सहारनपुर जिले के सिपाही
गौरव कुमार 06 सितम्बर 2014 को अपनी ड्यूटी कर के मोटरसाइकिल से पुलिस लाइन अपने कमरे
के लिए वापस आ रहे थे. लगभग 11:50 पर सहारनपुर कचहरी के सामने
कुछ अज्ञात लोगों ने उन पर हमला किया, मारपीट कर उनका सरकारी कार्बाइन लूटने का
प्रयास किया.
गौरव ने एक का
मोटरसाइकिल नंबर UP 11 R 6166 नोट कर लिया, 100 नंबर पर सूचना दी और थाना सदर जनपद सहारनपुर में लिखित सूचना
दी लेकिन उनका एफआईआर दर्ज नहीं किया गया. बाद में 16 सितम्बर को अभियुक्त पकड़ कर थाने आये पर
इंस्पेक्टर, सदर बिजेंद्र सिंह यादव ने एकतरफा समझौता करा कर अभियुक्तों को छोड़
दिया जबकि गौरव लगातार एफआईआर की मांग करते रहे.
कहीं कोई कार्यवाही
नहीं होने पर गौरव ने मुझसे इस मामले में ईमेल पर मदद मांगी. मैंने उनसे पूरी बात
समझ कर इंस्पेक्टर सदर से बात की तो बड़े हलके ढंग से कहा कि सिपाही जब लौट रहा था
तो कुछ लोगों द्वारा शराब के नशे में हंगामा किया जा रहा था जिसे सिपाही द्वारा
रोक कर मना करने पर उन लोगों द्वारा सिपाही से अभद्रता और गाली-गलौज की गयी थी
जिसमे दोनों पक्षों को बैठा कर समझा दिया गया है.
मैंने गौरव से
दुबारा इस बारे में बात की तो उन्होंने साफ़ कहा कि उन्होंने किसी समझौते के लिए
सहमति नहीं दी थी जबकि इंस्पेक्टर जबरदस्ती उन्हें समझौते के लिए दवाब दे रहे थे
और कह रहे थे कि एफआईआर दर्ज होने पर गौरव को बाद में कई सारी दिक्कतों का सामना
करना पड़ेगा.
मैंने अब इस मामले
में डीजीपी, यूपी को पत्र लिख कर ना सिर्फ एफआईआर दर्ज करने बल्कि अब तक कोई कार्यवाही
नहीं होने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कठोर कार्यवाही करते हुए पूरे
प्रदेश के लिए उचित सन्देश देने की मांग की है.
UP Policeman’s appeals for justice- No FIR after assault, attempt to snatch
weapon
On 06 September 2014, Constable Gaurav Kumar of Saharanpur Police was going
back to his room in Police Lines after his official duty. At around 11.50 in
the night, a few unknown assailants attacked him and tried to snatch his
official Carbine.
Gaurav managed to note down the motorcycle number UP 11 R 6166 of
one of these assailants and immediately informed Police control room at number 100.
He also immediately went to Sadar police station and give a written complaint
but the police did not register his FIR. Later, the assailants were identified
and they were brought to the police station on 16 September where Gauarv was
also called. Bijendra Singh Yadav, Inspector, Sadar forcibly got a compromise
imposed on Gauarv despite his insistence on getting his FIR registered.
At this stage, Gaurav sought my help by sending the facts on email. Having understood
the matter from Gauarv on phone, I talked to Inspector, Sadar who said very
casually that when the Constable was returning back, he saw a few persons
creating nuisance in drunken state. When the constable tried to control them,
these persons abused and misbehaved with him, after which the matter has been
subsided after proper talks between the two parties.
When asked again, Gauarv clearly said that though he had been called in the
police station but he had never agreed for any compromise while the Inspector
had been unilaterally pressurizing him to get the matter over, saying that pursuing
the matter would lead Gaurav to many personal hardships.
I have written to DGP, UP seeking not only registration of FIR but also
seeking strict action against the policemen responsible for the inaction so
far, so that a proper message goes all over the State.
Dr Nutan Thakur
Social activist, Lucknow
# 094155-34525
Phone No of Constable Gaurav Kumar- 090455-77736, 095570-98446
Phone No of Inspector Sadar, Saharanpur- 094544-04194
Social activist, Lucknow
# 094155-34525
Phone No of Constable Gaurav Kumar- 090455-77736, 095570-98446
Phone No of Inspector Sadar, Saharanpur- 094544-04194
Attached- Copy of FIR given by Gaurav Kumar
सेवा में,
पुलिस महानिदेशक,
उत्तर प्रदेश,
लखनऊ
विषय- जनपद सहारनपुर के वर्दी और हथियार से लैस आरक्षी 351 एपी श्री गौरव कुमार के साथ घटित आपराधिक घटना में उनकी तैनाती के जिले में कोई कार्यवाही नहीं होने विषयक
महोदय,
मैं आपके समक्ष आपके विभाग के एक आरक्षी के साथ घटित हुई आपराधिक घटना में आपके ही विभाग द्वारा कोई कार्यवाही नहीं किये जाने और उक्त आरक्षी के न्याय के लिए भटकने की एक घटना प्रस्तुत कर रही हूँ जो यह स्पष्ट कर देगा कि उत्तर प्रदेश पुलिस की वास्तविक स्थिति क्या है.
प्रकरण यह है कि जनपद सहारनपुर के आरक्षी 351 एपी श्री गौरव कुमार का एक मेल मुझे दिनांक 20/09/2014 को समय 12.48 पर उनके ईमेल Gaurav Kumar <gauravkmr787@gmail.com> से मेरे ईमेल nutanthakurlko@gmail.com पर प्राप्त हुआ (संलग्नक एक). इस मेल के अनुसार दिनांक 06/09/2014 को अपनी ड्यूटी समाप्त करने के बाद अपने मोटरसाइकिल पर ड्यूटी के स्थान से पुलिस लाइन स्थित अपने कमरे के लिए वापस आ रहे थे. लगभग 11:50 पर सहारनपुर कचहरी के सामने कुछ अज्ञात लोगों ने उन पर हमला किया और उनके साथ मारपीट करते हुए उनका असलाह (कार्बाइन) लूटने का प्रयास किया. श्री गौरव ने किसी तरह अपनी जान बचाई लेकिन इस दौरान उन्होंने इनमें से एक के मोटरसाइकिल का नंबर UP 11 R 6166 नोट कर लिया. श्री गौरव ने इस दौरान पहले तुरंत 100 नंबर पर सूचना दी लेकिन वहां से कोई भी प्रतिक्रिया नहीं हुई. फिर उन्होंने थाना सदर जनपद सहारनपुर को जा कर एक लिखित सूचना दी लेकिन आज तक उस पर कोई कार्यवाही नहीं हुई है बल्कि थाने द्वारा उनका मुक़दमा तक लिखने से मना कर दिया गया है. ईमेल के अनुसार थाने द्वारा इन लोगों को बाद में पकड़ कर थाने में लाया गया लेकिन थाने से ही छोड़ दिया गया. श्री गौरव ने मुझसे इस मामले में मदद करने की प्रार्थना की.
मैंने श्री गौरव से उनका फ़ोन नंबर माँगा जो उन्होंने 9557098446 बताया. मैंने और मेरे पति श्री अमिताभ ठाकुर, आईपीएस ने श्री गौरव से उनके फोन पर विस्तृत वार्ता की.
श्री गौरव ने इन वार्ता के दौरान बताया कि जब वे ड्यूटी से वापस लौट रहे थे तो कचहरी के पास अकस्मात् ही इन चार लोगों ने उन पर हमला कर दिया और असलाह लूटने की भी कोशिश की. कण्ट्रोल रूम में सौ नंबर से कोई मदद नहीं मिली तो वे भाग कर रात करीब 12.10 बजे थाना सदर बाज़ार पहुंचे जहां उन्होंने सारी बात बतायी जिसके आधार पर थाने द्वारा वायरलेस पर सभी को सूचना दी गयी. उन्होंने मोटरसाइकिल नंबर सहित एक लिखित तहरीर थाने को दी. (संलग्नक दो) वहां इंस्पेक्टर नहीं थे पर श्री अनिल कुमार, मुंशी थे.
घटना के छः-सात दिन बाद दिनांक 16/09/2014 को अभियुक्तगण पकड़ कर थाने लाये गए और उन्हें भी थाने के एक सिपाही ने फोन पर सूचना दी. वे थाने गए जहां इंस्पेक्टर, सदर श्री बिजेंद्र सिंह यादव ने उनसे बार-बार समझौता करने को कहा और कहा कि वे मामले को यहीं समाप्त कर दें नहीं तो उन्हें कई प्रकार से दिक्कत झेलनी पड़ेगी. इंस्पेक्टर सदर ने कहा कि मामला ख़त्म करो नहीं तो मुक़दमा लड़ना पड़ेगा जिसमे बहुत दिक्कत आएगी. श्री गौरव के बार-बार समझौता करने से मना करने के बाद भी इंस्पेक्टर ने उनका मुक़दमा नहीं लिखा और जबरदस्ती यह घोषित कर दिया कि समझौता हो गया और उन्होंने सभी अभियुक्तों को बड़े आराम से थाने से वापस भेज दिया.
इस दौरान श्री गौरव को ज्ञात हुआ कि उन चार लोगों के नाम श्री रजनीश कुमार शर्मा पुत्र श्री राजकुमार शर्मा, श्री सिद्धार्थ सैनी पुत्र श्री ललित सैनी, श्री ललित सैनी और श्री अंकुर पुत्र श्री प्रेमचंद थे. श्री गौरव ने इस जानकारी के बाद एक दूसरा तहरीर भी थाने पर दिया लेकिन उस पर भी कोई कार्यवाही नहीं हुई है और आज स्थिति यह है कि घटना के लगभग बीस दिन बाद भी उत्तर प्रदेश पुलिस का एक सिपाही अपने साथ हुए मारपीट, गाली-गलौज और हथियार छीनने के प्रयास की घटना में कार्यवाही कराने के लिए दर-दर भटकने को बाध्य हो रहा है और यह कहने को मजबूर हो रहा है कि “मैम, मैं बहुत ज्यादा परेशान हो गया हूँ और तनावग्रस्त रहने लगा हूँ.”
मैंने इस मामले में सदर, सहारनपुर के इंस्पेक्टर से उनके सीयूजी फोन 094544-04194 पर बात की तो उन्होंने बड़े हलके ढंग से कहा कि सिपाही जब लौट रहा था तो कुछ लोगों द्वारा शराब के नशे में हंगामा किया जा रहा था जिसे सिपाही द्वारा रोक कर मना करने पर उन लोगों द्वारा सिपाही से अभद्रता और गाली-गलौज की गयी थी जिसमे दोनों पक्षों को बैठा कर समझा दिया गया है. अतः इसमें अब कोई बात नहीं है. आप समझ सकते हैं कि इंस्पेक्टर का यह कथन कितना लचर और गैर-वाजिब है क्योंकि यदि उनकी ही बात सही मानी जाए तो भी इतना तो था ही कि एक वर्दीधारी पुलिसवाले कुछ आपराधिक लोगों द्वारा मध्य रात्री में शराब के नशे में गाली-गलौज और मारपीट की गयी थी, अतः ऐसे गंभीर मामले में क्या, क्यों और कैसे समझौता कराया गया यह बात मेरी समझ के परे जान पड़ती है. इस बात पर भी श्री गौरव स्पष्ट कहते हैं कि उन्होंने कोई समझौता नहीं किया था और कार्यवाही की मांग की थी जबकि इंस्पेक्टर जबरिया समझौता कराना चाह रहे थे और उन्होंने एकतरफा ऐसा मान लिया कि दोनों पक्षों में समझौता हो गया जबकि श्री गौरव आज भी ऐसा कोई समझौता नहीं चाहते हैं.
मैं जानती हूँ कि जैसे ही यह प्रकरण आपके व्यक्ज्तिगत संज्ञान में आएगा इसमें अत्यंत प्रभावी कार्यवाही होगी पर क्या यह अपने आप में पर्याप्त होगा? क्या यह प्रश्न अधिक महत्वपूर्ण नहीं है कि आखिर ऐसी नौबत आई ही क्यों जिसमे सहारनपुर के एक सिपाही की खुद के साथ वर्दी में हुए आपराधिक कृत्य की एफआईआर उसकी तैनाती के जिले में दर्ज ही नहीं हुई, और उन्हें मेरे जैसे एक सामाजिक कार्यकर्ता से गुहार करनी पड़ी? आप सहमत होंगे कि यदि पहले ही वाजिब कार्यवाही हो जाती तो एक सिपाही को अपनी एफआईआर के लिए कहीं गुहार नहीं करनी पड़ती और ना ही उन्हें इसके लिए परेशान और तनावग्रस्त होना पड़ता. अतः मेरा आपसे निवेदन है कि जहां आप कृपया तत्काल इस मामले में एफआईआर दर्ज कर आगे की कार्यवाही करवाने की कृपा करें वहीँ ऐसा करने में विफल रहे सभी लोगों के खिलाफ भी कठोरतम दंडात्मक कार्यवाही करें ताकि यह पूरे प्रदेश में एक नजीर के रूप में प्रस्तुत हो और दुबारा ऐसी नौबत कभी ना आये. यदि ऐसा नहीं हुआ तो आगे भी उत्तर प्रदेश पुलिस के सिपाही इसी तरह मारे-पीटे जाते रहेंगे और उनकी गुहार सुनने वाला कोई नहीं होगा.
पुलिस महानिदेशक,
उत्तर प्रदेश,
लखनऊ
विषय- जनपद सहारनपुर के वर्दी और हथियार से लैस आरक्षी 351 एपी श्री गौरव कुमार के साथ घटित आपराधिक घटना में उनकी तैनाती के जिले में कोई कार्यवाही नहीं होने विषयक
महोदय,
मैं आपके समक्ष आपके विभाग के एक आरक्षी के साथ घटित हुई आपराधिक घटना में आपके ही विभाग द्वारा कोई कार्यवाही नहीं किये जाने और उक्त आरक्षी के न्याय के लिए भटकने की एक घटना प्रस्तुत कर रही हूँ जो यह स्पष्ट कर देगा कि उत्तर प्रदेश पुलिस की वास्तविक स्थिति क्या है.
प्रकरण यह है कि जनपद सहारनपुर के आरक्षी 351 एपी श्री गौरव कुमार का एक मेल मुझे दिनांक 20/09/2014 को समय 12.48 पर उनके ईमेल Gaurav Kumar <gauravkmr787@gmail.com> से मेरे ईमेल nutanthakurlko@gmail.com पर प्राप्त हुआ (संलग्नक एक). इस मेल के अनुसार दिनांक 06/09/2014 को अपनी ड्यूटी समाप्त करने के बाद अपने मोटरसाइकिल पर ड्यूटी के स्थान से पुलिस लाइन स्थित अपने कमरे के लिए वापस आ रहे थे. लगभग 11:50 पर सहारनपुर कचहरी के सामने कुछ अज्ञात लोगों ने उन पर हमला किया और उनके साथ मारपीट करते हुए उनका असलाह (कार्बाइन) लूटने का प्रयास किया. श्री गौरव ने किसी तरह अपनी जान बचाई लेकिन इस दौरान उन्होंने इनमें से एक के मोटरसाइकिल का नंबर UP 11 R 6166 नोट कर लिया. श्री गौरव ने इस दौरान पहले तुरंत 100 नंबर पर सूचना दी लेकिन वहां से कोई भी प्रतिक्रिया नहीं हुई. फिर उन्होंने थाना सदर जनपद सहारनपुर को जा कर एक लिखित सूचना दी लेकिन आज तक उस पर कोई कार्यवाही नहीं हुई है बल्कि थाने द्वारा उनका मुक़दमा तक लिखने से मना कर दिया गया है. ईमेल के अनुसार थाने द्वारा इन लोगों को बाद में पकड़ कर थाने में लाया गया लेकिन थाने से ही छोड़ दिया गया. श्री गौरव ने मुझसे इस मामले में मदद करने की प्रार्थना की.
मैंने श्री गौरव से उनका फ़ोन नंबर माँगा जो उन्होंने 9557098446 बताया. मैंने और मेरे पति श्री अमिताभ ठाकुर, आईपीएस ने श्री गौरव से उनके फोन पर विस्तृत वार्ता की.
श्री गौरव ने इन वार्ता के दौरान बताया कि जब वे ड्यूटी से वापस लौट रहे थे तो कचहरी के पास अकस्मात् ही इन चार लोगों ने उन पर हमला कर दिया और असलाह लूटने की भी कोशिश की. कण्ट्रोल रूम में सौ नंबर से कोई मदद नहीं मिली तो वे भाग कर रात करीब 12.10 बजे थाना सदर बाज़ार पहुंचे जहां उन्होंने सारी बात बतायी जिसके आधार पर थाने द्वारा वायरलेस पर सभी को सूचना दी गयी. उन्होंने मोटरसाइकिल नंबर सहित एक लिखित तहरीर थाने को दी. (संलग्नक दो) वहां इंस्पेक्टर नहीं थे पर श्री अनिल कुमार, मुंशी थे.
घटना के छः-सात दिन बाद दिनांक 16/09/2014 को अभियुक्तगण पकड़ कर थाने लाये गए और उन्हें भी थाने के एक सिपाही ने फोन पर सूचना दी. वे थाने गए जहां इंस्पेक्टर, सदर श्री बिजेंद्र सिंह यादव ने उनसे बार-बार समझौता करने को कहा और कहा कि वे मामले को यहीं समाप्त कर दें नहीं तो उन्हें कई प्रकार से दिक्कत झेलनी पड़ेगी. इंस्पेक्टर सदर ने कहा कि मामला ख़त्म करो नहीं तो मुक़दमा लड़ना पड़ेगा जिसमे बहुत दिक्कत आएगी. श्री गौरव के बार-बार समझौता करने से मना करने के बाद भी इंस्पेक्टर ने उनका मुक़दमा नहीं लिखा और जबरदस्ती यह घोषित कर दिया कि समझौता हो गया और उन्होंने सभी अभियुक्तों को बड़े आराम से थाने से वापस भेज दिया.
इस दौरान श्री गौरव को ज्ञात हुआ कि उन चार लोगों के नाम श्री रजनीश कुमार शर्मा पुत्र श्री राजकुमार शर्मा, श्री सिद्धार्थ सैनी पुत्र श्री ललित सैनी, श्री ललित सैनी और श्री अंकुर पुत्र श्री प्रेमचंद थे. श्री गौरव ने इस जानकारी के बाद एक दूसरा तहरीर भी थाने पर दिया लेकिन उस पर भी कोई कार्यवाही नहीं हुई है और आज स्थिति यह है कि घटना के लगभग बीस दिन बाद भी उत्तर प्रदेश पुलिस का एक सिपाही अपने साथ हुए मारपीट, गाली-गलौज और हथियार छीनने के प्रयास की घटना में कार्यवाही कराने के लिए दर-दर भटकने को बाध्य हो रहा है और यह कहने को मजबूर हो रहा है कि “मैम, मैं बहुत ज्यादा परेशान हो गया हूँ और तनावग्रस्त रहने लगा हूँ.”
मैंने इस मामले में सदर, सहारनपुर के इंस्पेक्टर से उनके सीयूजी फोन 094544-04194 पर बात की तो उन्होंने बड़े हलके ढंग से कहा कि सिपाही जब लौट रहा था तो कुछ लोगों द्वारा शराब के नशे में हंगामा किया जा रहा था जिसे सिपाही द्वारा रोक कर मना करने पर उन लोगों द्वारा सिपाही से अभद्रता और गाली-गलौज की गयी थी जिसमे दोनों पक्षों को बैठा कर समझा दिया गया है. अतः इसमें अब कोई बात नहीं है. आप समझ सकते हैं कि इंस्पेक्टर का यह कथन कितना लचर और गैर-वाजिब है क्योंकि यदि उनकी ही बात सही मानी जाए तो भी इतना तो था ही कि एक वर्दीधारी पुलिसवाले कुछ आपराधिक लोगों द्वारा मध्य रात्री में शराब के नशे में गाली-गलौज और मारपीट की गयी थी, अतः ऐसे गंभीर मामले में क्या, क्यों और कैसे समझौता कराया गया यह बात मेरी समझ के परे जान पड़ती है. इस बात पर भी श्री गौरव स्पष्ट कहते हैं कि उन्होंने कोई समझौता नहीं किया था और कार्यवाही की मांग की थी जबकि इंस्पेक्टर जबरिया समझौता कराना चाह रहे थे और उन्होंने एकतरफा ऐसा मान लिया कि दोनों पक्षों में समझौता हो गया जबकि श्री गौरव आज भी ऐसा कोई समझौता नहीं चाहते हैं.
मैं जानती हूँ कि जैसे ही यह प्रकरण आपके व्यक्ज्तिगत संज्ञान में आएगा इसमें अत्यंत प्रभावी कार्यवाही होगी पर क्या यह अपने आप में पर्याप्त होगा? क्या यह प्रश्न अधिक महत्वपूर्ण नहीं है कि आखिर ऐसी नौबत आई ही क्यों जिसमे सहारनपुर के एक सिपाही की खुद के साथ वर्दी में हुए आपराधिक कृत्य की एफआईआर उसकी तैनाती के जिले में दर्ज ही नहीं हुई, और उन्हें मेरे जैसे एक सामाजिक कार्यकर्ता से गुहार करनी पड़ी? आप सहमत होंगे कि यदि पहले ही वाजिब कार्यवाही हो जाती तो एक सिपाही को अपनी एफआईआर के लिए कहीं गुहार नहीं करनी पड़ती और ना ही उन्हें इसके लिए परेशान और तनावग्रस्त होना पड़ता. अतः मेरा आपसे निवेदन है कि जहां आप कृपया तत्काल इस मामले में एफआईआर दर्ज कर आगे की कार्यवाही करवाने की कृपा करें वहीँ ऐसा करने में विफल रहे सभी लोगों के खिलाफ भी कठोरतम दंडात्मक कार्यवाही करें ताकि यह पूरे प्रदेश में एक नजीर के रूप में प्रस्तुत हो और दुबारा ऐसी नौबत कभी ना आये. यदि ऐसा नहीं हुआ तो आगे भी उत्तर प्रदेश पुलिस के सिपाही इसी तरह मारे-पीटे जाते रहेंगे और उनकी गुहार सुनने वाला कोई नहीं होगा.
पत्र संख्या- NT/Shr/gaurav भवदीय,
दिनांक-25/09/2014
(डॉ नूतन ठाकुर )
5/426,
विराम खंड,
गोमती नगर, लखनऊ
#
94155-34525
दिनांक-25/09/2014
श्री गौरव कुमार का
ईमेल-
suchna maine 100 no. Ko di aur aur thane ko suchna di aur maine thana Sadar ko Gadi no. UP 11 R 6166 Ke aadhar par likhit me suchna di lekin Thana Sadar Saharanpur ne aajtak us me koi karyavahi nahi ki hai aur Muladma likne se bhi mana kar diya aur unhe pakad kar mujhe bina bataye chod diya. Aise me mam mai bahut jyada pareshan ho gaya hu aur tanavgrast rahne laga hu. Agar vo log mera aslaha chinne me safal ho jate to mere upar bibhag ki taraf se turant karyavahi ki jati aur mujhe jail bhej diya jata... Please Mam Help me JAI HIND