Shameless, feel like resigning from Police- UP police constables
Today I went to
Ashiana police station and the scene of occurrence there for fact-finding
exercise
While station officer
Sudhir Kumar Singh said that nothing special had happened, victim Constables
Kamal Kishor Yadav and Ved Prakash Yadav after much cajoling narrated many
starting facts
The Constables told that
Guddu Yadav and his men openly abused them and dared them with serious
consequences, saying that even the SSP did not count much to them. The
Constables were also chased with sandals. They told that other than
a SP MLA, an SP rank officer presently posted in Lucknow district reached
police station in civvies in a private Maruti Swift Desire within 30 minutes of
incidence and he also blamed these constables.
Constables said
that if policemen are chased with sandals, Khadi naturally loses all respect.
They said they felt like resigning from police service. They had been told to remain in civvies and being sent on forced leave.
Businessman Arun
Kumar Gupta said that he had to compromise because of the influence wielded by
Suresh Yadav. I have met the DGP, UP A L Banerjee and asked him to get an
independent enquiry conducted through an IG rank officer of the DGP office and
take stern action in this case. Mr Banerjee assured action and directed IG
Public Grievances to conduct the enquiry.
घटिया हालात, नौकरी छोड़ना बेहतर- यूपी पुलिस के सिपाही
मैंने आज थाना आशियाना और घटनास्थल पर जा कर घटना की
तहकीकात की. जहां थानाध्यक्ष सुधीर कुमार सिंह ने कहा कि
कोई बात नहीं हुई थी वहीँ पीड़ित सिपाही कमल किशोर यादव और वेद प्रकाश यादव ने काफी डरते-डरते कई
सारी गंभीर बातें बतायीं.
इन सिपाहियों ने बताया कि उन्हें मौके पर गुड्डू यादव और
उनके लोगों द्वारा गाली-गलौज किया गया. यह भी कहा गया कि तुम्हारी क्या औकात है, हम तुम्हारे एसओ की भी वर्दी उतरवा लेंगे. जूता-चप्पल ले कर इन्हें दौड़ाया गया. उन्होंने बताया कि सपा विधायक के अलावा राजधानी में तैनात एसपी स्तर के अफसर भी घटना के आधे घंटे में मारुति स्विफ्ट डिजायर से सादे में थाने में पहुँच गए थे और इन सिपाहियों को भला-बुरा भी कहा.
सिपाहियों ने कहा कि यदि जूता-चप्पल ले कर दौड़ा लिया जाये तो वर्दी की क्या
इज्जत रह जायेगी, मन करता है कि इस जलालत से अच्छा है कि नौकरी छोड़ दें. उन्होंने बताया कि थाने में उन्हें वर्दी पहनने से मना किया गया है और जबरदस्ती छुट्टी भेजा जा रहा है.
व्यापारी अरुण कुमार गुप्ता ने कहा कि सुरेश यादव के हनक के कारण उन्हें समझौता करना पड़ा. मैंने डीजीपी,
यूपी ए एल बनर्जी से मिलकर उन्हें इन सभी तथ्यों से अवगत कराया और उनसे इस मामले
की जांच डीजी मुख्यालय के आईजी रैंक अफसर से करा कर कठोर कार्यवाही कराने
की मांग की है. श्री बनर्जी ने कार्यवाही का भरोसा दिलाया और आईजी लोक शिकायत को
जांच के आदेश दिए.
Dr Nutan Thakur
#094155-34525
डीजीपी को दिया
गया पत्र---
सेवा में,
पुलिस महानिदेशक,
उत्तर प्रदेश,
पुलिस महानिदेशक,
उत्तर प्रदेश,
लखनऊ
विषय- थाना आशियाना, जनपद लखनऊ में सिपाहियों से हुई अभद्रता विषयक
विषय- थाना आशियाना, जनपद लखनऊ में सिपाहियों से हुई अभद्रता विषयक
महोदया,
कृपया आज दिनांक- 10/09/2014 को विभिन्न समाचारपत्रों में थाना आशियाना, जनपद लखनऊ में
घटी घटना के सम्बन्ध में छपे समाचारों (प्रतिलिपि संलग्न) का
उल्लेख लें जिनमे कहा गया है कि थाना आशियाना, जनपद लखनऊ के दो सिपाही श्री कमल
किशोर यादव और श्री वेद प्रकाश यादव को वहां के एक दबंग श्री सुरेश यादव के पुत्र
श्री गुड्डू यादव और उसके गुंडों द्वारा सार्वजनिक रूप से घोर अभद्रता और बदमाशी करने
के बाद भी थाने पर श्री सुरेश यादव के दवाब में थाने पर समझौता करा दिया गया. इन
समाचार में यह भी कहा गया कि खुद पीटने के बाद भी यही सिपाही रातोंरात लाइन हाज़िर
भी किये गए थे और बाद में जब मीडिया में दूसरे तरह की खबर छपी तो मुंह छिपाने को
वरिष्ठ पुलिस अफसरों ने उन्हें वापस थाने भेज दिया.
मैं आज दिनांक- 10/09/2014 को समय लगभग बारह बजे स्वयं
इस प्रकरण की अपने स्तर पर जांच करने थाना आशियाना गयी. वहां अन्य लोगों के अलावा मेरी
मुलाक़ात थानाध्यक्ष तथा स्वयं दो सिपाही श्री कमल किशोर यादव और श्री वेद प्रकाश
यादव से हुई जिनमे श्री कमल किशोर और श्री वेद प्रकाश ने पहले तो कुछ भी कहने से
मना कर दिया पर बहुत समझाने के बाद बहुत डरते-डरते मुझे विस्तार में काफी कुछ
बातें भी बतायी. मैंने इसके अलावा पीड़ित व्यापारी श्री अरुण कुमार गुप्ता से भी उनकी
दुकान पर मुलाक़ात की और उन्होंने भी लगभग सारी बात विस्तार में बतायी.
मैं इन लोगों से हुई बातचीत के प्रमुख भागों को यहाँ
प्रस्तुत कर रही हूँ-
1.
श्री सुधीर कुमार सिंह, थानाध्यक्ष- उन्होंने कहा कि कि ख़ास बात नहीं हुई थी. दो पक्षों में विवाद हुआ था जिसके बाद व्यापार मंडल और काम्प्लेक्स वाले पक्ष के लोग थाने पर आये थे. दोनों पक्ष के लोगों ने आपस में बैठ कर मामे में सुलह कर ली और प्रकरण वहीँ समाप्त हो गया. इसके अलावा अन्य कोई बात नहीं है. पीटे हुए सिपाहियों के बारे में पूछने पर बताया कि वे
दोनों छुट्टी पर हैं.
2.
श्री कमल किशोर
यादव- मोबाइल नंबर 094522-30561, 091257-50743- बताया कि मामले
की सूचना मिलने पर वे श्री वेद प्रकाश के साथ मौके पर गए थे. वहां जब वे पहुंचे तो
मारपीट हो रही थी. वहां एक क्रेन खड़ी थी उसका शीशा तोड़ा गया था और मौके पर स्थिति
तनावपूर्ण थी. दो-ढाई सौ की भीड़ थी. उनके साथ के कई लोगों ने भी उन्हें गालियाँ
देनी शुरू कर दी. उन लोगों ने गाली-गलौज करने के अलावा सिपाहियों को सार्वजनिक रूप
से जलील किया. साथ ही यह भी कहा कि तुम्हारी क्या औकात है, हम तुम्हारे एसओ की भी
वर्दी उतरवा लेंगे. जूता-चप्पल ले कर इन दोनों सिपाहियों को दौड़ा लिया जिस पर वे
वहां से अपनी जान बचाने को भागे. मैंने पूछा कि क्या आपको मारा भी था तो श्री कमल
किशोर ने कहा कि मारा नहीं था पर यदि जूता-चप्पल ले कर दौड़ा लिया जाये तो वर्दी की
क्या इज्जत रह जायेगी. थाने पर जब श्री कमल किशोर मुझसे मिले तो वे सादे में थे
जिस पर मैंने सादे में होने का कारण पुछा तो उन्होंने मुझे बताया कि हमें कहा गया
है कि जब तक मामला शांत नहीं हो जाये हम लोग बिना वर्दी के रहें. मैंने यह पूछा कि
क्या आपने मामले की एफआईआर थाने पर दी थी तो उन्होंने कहा कि हमने लिख के अपने पास
रखा था पर जब हमसे माँगा जाता तभी तो हम देते, हम पुलिस के सिपाही हैं और अनुशासन
से बंधे है तो अपने से एफआईआर कैसे दे देते. मैंने पूछा कि किसके दवाब में यह सब
हुआ तो उन्होंने कहा कि एक तो श्री सुरेश यादव का दवाब था, साथ ही उनके साथ
प्रॉपर्टी का काम करने वाले समाजवादी पार्टी के एक विधायक और उसके अलावा लखनऊ में
ही तैनात एक एसपी स्तर के अधिकारी जो श्री सुरेश यादव के रिश्तेदार भी हैं. इस
घटना के आधे घंटे के अन्दर ही वे एसपी स्तर के अफसर मारुति स्विफ्ट डिजायर गाडी
में सादे में थाने में पहुँच गए थे और उन्हने भी मामले को रफा-दफा करने में बड़ी
भूमिका निभायी. उन एसपी साहब ने उलटे इन सिपाहियों को ही भला-बुरा कहा. इस घटना के
बाद उक्त एसपी साहब श्री सुरेश यादव के घर भी गए. श्री अरुण कुमार गुप्ता भी
एफआईआर लिए हुए था लेकिन उसे इतना डरा दिया गया कि वह अब डर के मारे कोई शिकायत
नहीं कर रहा है.
3.
श्री वेद प्रकाश
यादव- फ़ोन नंबर- 94502-20581- उन्होंने भी श्री कमल किशोर यादव द्वारा
बतायी बातों को दुहराया. साथ ही कहा कि वहां मौके पर पहुँचते ही एक आदमी ने उनसे
कहा कि उन्हें बुलाया कौन है. सिपाही ने कहा कि वे अपनी ड्यूटी पर हैं. इस पर श्री
सुरेश यादव के पुत्र श्री गुड्डू यादव ने उन्हें कहा कि मेरे पास आओ, मैं बताता
हूँ कि क्या बात है. फिर श्री गुड्डू यादव ने कहा कि यहाँ आने की हिम्मत कैसे हुई,
तेरी क्या औकात है, तेरे कप्तान की भी क्या औकात है. उन्होंने कहा कि आप इस तरह
बदतमीजी क्यों कर रहे हैं. इसके बाद उन्हें दौडाना शुरू कर दिया गया उन्होंने कहा
कि कई बार मन करता है कि इस जलालत से अच्छा है कि नौकरी छोड़ दें. जब सब बातें
अधिकारियों को मालुम थीं पर उसके बाद भी कुछ नहीं हुआ तो इससे अच्छा है कि नौकरी
छोड़ दें.
4.
श्री अरुण कुमार
गुप्ता- फोन नंबर- 94506-79760- उन्होंने बताया कि वे अपनी दुकान में तिजोरी
लगवाने के लिए दीवाल में काम करवा रहे थे. इसके लिए काँटा-वाला, लाटूश रोड से एक
क्रेन आई थी जो उनकी दुकान के बाहर खड़ी थी. उसी समय श्री गुड्डू यादव और उनके साथ लगभग
छ-सात लोग क्रेन के पास सड़क पर शोर-शराबा करने लगे. वहां लगी एक बोर्ड को तोड़ दिया,
गाली-गलौज शुरू किया क्यूंकि शायद वे नशे में थे. श्री गुप्ता ने थाने में फ़ोन
किया और वहां हंगामा देख कर किसी अन्य ने सौ नंबर पर फोन किया. जब दो पुलिसवाले
आये तो उन्हें गाली-गलौज किया और जूता-चप्पल ले कर दौड़ा लिया. फिर कई सारे पुलिस
वाले आ गए और श्री गुड्डू यादव को पकड़ कर थाने ले गए. वहां उनकी तरफ से कई लोग आ
गए और पुलिस ने जबरदस्ती समझौता करा दिया. उन्होंने कहा कि चूँकि वहां उनकी सोने
की दूकान है और श्री सुरेश यादव बहुत अधिक प्रभावशाली हैं अतः जब पुलिस के अफसरों
ने उन पर समझौते का दवाब बनाया तो सब बातें सोच कर उन्होंने समझौता करना ही बेहतर
समझा ताकि वे भविष्य में किसी परेशानी में ना पड़ जाएँ. उन्होंने कहा कि स्वयं
समाजवादी पार्टी मुखिया श्री मुलायम सिंह यादव से श्री सुरेश यादव की नजदीकी बतायी
जाती है और यह भी आम चर्चा है कि पिछली बार जब श्री मुलायम सिंह मुख्यमंत्री थे तो
श्री सुरेश यादव के परिवार के किसी बच्चे का नामकरण स्वयं श्री मुलायम सिंह ने
किया था. इन कारणों से श्री अरुण गुप्ता और इलाके के सभी लोग श्री सुरेश यादव से
डरते हैं और उन्होंने भी इसी डर के कारण समझौता कर लिया जबकि इस पूरे प्रकरण में
एकपक्षीय गलती श्री गुड्डू यादव और उनके साथियों की थी
इन बातों के अलावा मैं आपसे निम्न बातें भी बताना चाहूंगी-
1.
श्री कमल किशोर और श्री वेद प्रकाश ने थाने में जो भी बातें
बतायीं वे बहुत ही डर-डर कर बताई
2.
उन्होंने ये बातें भी मेरे द्वारा कई बार हिम्मत बंधाने के
बाद बतायी
3.
ये बातें बताते समय वे दोनों बहुत ही डरे हुए और भयभीत लग
रहे थे
4.
उन्होंने कई बार यह कहा कि वे अनुशासित विभाग में हैं और
कहीं उनका आगे कोई नुकसान नहीं हो जाए
5.
वे अन्दर तक घबराए और दुखी लग रहे थे और उनके चेहरे का दर्द
साफ़ जाहिर हो रहा था
ऊपर कही गयी इन बातों से निम्न तथ्य स्वतः ही स्पष्ट हो जाते हैं-
1.
इस प्रकरण में अभी पूरी तरह अन्याय हुआ है और स्थानीय पुलिस
ने साड़ी बातें जानने के बाद भी अन्यायपूर्ण कार्यवाही की है और गुंडई पर लगाम
लगाने की जगह पिटे हुए पुलिसवालों पर ही सारा दवाब बनाया जा रहा है
2.
पुलिस के दो सिपाही से गाली-गलौज हुआ, उन्हें दौड़ाया गया
लेकिन उस पर कोई भी कार्यवाही नहीं हुई
3.
यह सीधे-सीधे पुलिस विभाग और वर्दी का अपमान है
4.
इस मामले में व्यापारी श्री अरुण कुमार गुप्ता के साथ भी
अन्याय हुआ है
5.
इस प्रकरण में श्री गुड्डू यादव को उनके ऊँचे रसूख और राजनैतिक
पहुँच के कारण सीधे-सीधे मदद पहुँचते दिख रहा है
उपरोक्त सभी तथ्यों के आधार
पर मैं आपसे निवेदन करती हूँ कि इस पूरे मामले की जांच आप अपने मुख्यालय के कम से
कम आईजी रैंक के किसी ईमानदार और वरिष्ठ अधिकारी से करा कर जांच के आधार पर कठोर
और निष्पक्ष कार्यवाही कराने की कृपा करें क्योंकि यह मामला केवल उन दो सिपाहियों
से जुड़ा हुआ नहीं है बल्कि यह स्पष्टतया सार्वजनिक गुंडई और पूरे उत्तर प्रदेश पुलिस
बल की मान-मर्यादा से जुड़ा मामला है. मुझे विश्वास है कि प्रकरण स्वयं आपके
संज्ञान में आने पर इसमें न्याय होगा
पत्र संख्या- NT/Ashiyana/01
दिनांक- 10/09/2014 भवदीय,
(डॉ नूतन ठाकुर)
5/426, विराम खंड,
गोमतीनगर, लखनऊ
#094155-34525
(डॉ नूतन ठाकुर)
5/426, विराम खंड,
गोमतीनगर, लखनऊ
#094155-34525
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